सपनों का सफर
नयी नवेली नव्या दुल्हन बन ससुराल में आयी अपनी पलकों में कई रंगीन सपने सजाए पर यह क्या यहां तो सब कुछ सपनों के विपरीत था।
क्या देखा पापा ने कितने दकियानूसी लोग बड़ा सा घूँघट डाल दिया ऊपर से चुनरी सांस लेना भी दूभर कहाँ फसा दिया पापा ।
अभी तो दो घण्टे ही हुए कैसे बीतेंगे चार दिन या उसके बाद कि जिन्दगी, अलीगढ़ इतना अच्छा शहर और लोग ऐसे कहीं वो भी तो न हों ऐसे नही वो न होंगे आखिर इंजीनियरिंग की है जरूर अलग होंगे एकदम मेरे सपनों के जैसे इसी सोच में आंख लग गयी सुबह जब नन्द ने भावी कहकर पुकारा तो ख्याल आया वो अब ससुराल में है न कि मायके में नो मस्त पड़ी सोए 10 बजे तक।
भाभी जल्दी तैयार हो जाओ आज बहुत रस्मे होनी हैं।
जी दीदी।
फिर जो रूम से निकली सीधे शाम को ही आ पायी वापस थककर निढाल हो गयी पर मन कुछ नाखुश था ।
नव्या एम, एमड किए थी एकदम नए विचारों की लड़कीं जिन्दादिल जीवन के प्रति अपार संभावनाएं रखने बाली बहुत कुछ करने का जज्बा बाली और पिक्चराइज जीवन से लगाव करने बाली उसकी शादी एक होनहार एमटेक इंजीनियरिंग कर चुके बल्कि बन चुके सुमित से कर दी गयी सभी बड़ो की मर्जी से तब रिवाज नही था शादी से पहले मिलने बात करने का फोन तो थे पर इजाजत नही।
नव्या अभी ठीक से आराम भी न कर पायी थी तभी नन्द आ गयीं बतियाने दी तीन स्त्रियों के साथ हंसी मजाक में समझा गयीं आज उसकी सुहागरात है और यह उसका रूम नही उसका रम छतपर है
जहां वो अब उसे ले जाएंगी।
नव्या बहुत खुश हुई उसका रूम स्पेशल होगा सुहाग सेज फूलों से सजी केंडिल से जगमगाता रूम सारा पिक्चर जैसा सीन उसकी आँखों में
चल रहा था कहाँ खो गयी भाभी।
नही कहीं नही।
तो चलो अपने कमरे में।
वो कुछ जरूरी सामान ले लेते।
यहाँ से कहाँ भागा जा रहा है एक तेज आवाज सुनायी दी शायद कोई बुजुर्ग महिला थी ।
उसके बाद उसे कुछ कहने का साहस न था चुपचाप नन्द के पीछे हो ली।
भाभी आप चिंता न करो मैं अभी पहुंचा दुंगी सब मयंक से ।
मयंक यानि उसका देवर वह कुछ न बोली जीने से ऊपर पहुंची कमरे में प्रवेश किया यह क्या कुछ भी नही था बस उसका बैड और उसपर फूलों की चादर बिछी थी उसके तो सारे सपने ही धुंआ हो गए पलकें भीग गयीं तभी मयंक उसका सामान रख गया।
भाभी कुछ और तो नही चाहिए।
नही उसने बड़ी मायूसी से बोला उसके जाने के बाद बोली उसकी नकल करती हुई भाभी कुछ और तो नही चाहिए दोनों भाई क्या पढ़े लिखे हैं।
खिसियाकर अपने बैग से एक साड़ी निकालकर चेंज किया फिर जाने क्या सूझी ड्रेसिंगटेवल के सामने जाकर मेकअप किट से सही से मेकअप किया न जाने कौन सा जज्बा था जो मन सन्तुष्ट न होकर बि सन्तुलन बना लिया एक अनजानी सी चमक आ गयी आँखों में कुछ शर्माहट के साथ कुछ अनजाने एहसास जो भारी पड़ गए उसके गुस्से पर तभी हल्की कदमो की आहट ने उसे और भी घबरा दिया वो जल्दी से बैड पर बैठ गयी हल्का घूँघट करके।
तब तक सुमित रूम में आ गया क्रीम कलर के नाइट सूट में कितना अच्छा लग रहा था न ही मन मुस्कुरा उठी।
आहिस्ता आहिस्ता से सुमित उसके नजदीक आया बड़े प्यारे अंदाज में बोला मेरे जीवन मे तुम्हारा स्वागत है नव्या ।
तभी उसे कुछ याद आया धीरे से उठकर उसके पैरों पर झुकी सुमित ने बीच मे ही रोक लिया नही यहाँ नही यहाँ जगह है आपकी फिर खो गए अपने सुख संसार में जाने क्या हुआ नव्या को बहुत प्यास लगने लगी पर रूम में कहीं पानी नही था कितने सपने देखे थे दूध का ग्लास मिठाई वो तो दूर पानी भी नहीं कोई न । फिर लेट कर सो गयी सुबह सुमित ने
रागिनी को उठाया अरे तुम्हें तो बहुत बुखार हो रहा है ।
नही ठीक हूँ ।
मुझे पता है आप ठीक नही ही सॉरी शायद आपने बहुत से ख्वाब देखे हों पर यहाँ सब सम्भव नहीं आप समझ सकते हो यहाँ सब पढ़ेलिखे तो हैं पर अपने रिवाजों से ज्यादा ही जकड़े हुए हैं।
नही कोई बात नही पिक्चर की दुनियां और हकीकत की दुनियां अलग होती है ।
क्या कहा आपने।
कुछ नही कुछ भी तो नहीं।
नही बोलो न ।
पर सुमित समझ चुका था वह एक जबरदस्त स्वागत की हकदार थी पर उससे जरा भी न हुआ पर क्या करता माँ ,ताई, सभी के सामने कुछ भी नही कर सकता था।
फिर दरवाजे पर दस्तक हुई और नव्या नन्द के साथ चली गयी।
फिर बचे तीनों दिन यही हुआ सुमित रात के 11 बजे आता और पूरे दिन वह तरस जाती पर सुमित का वो 8 घण्टे का सहारा उसे सभाल देता ।
अगले दिन पगफेरे के लिए पापा के साथ घर लौट गई चाहकर भी सुमित को न मिल पाई।
शाम को घर आकर बैठी ही थी ससुर जी का फोन आ गया समधी जी पूरे एक महीने को कोई तारा डूब रहा तो बहु या तो मायके रहेगी या ससुराल आप निर्णय लेकर बता दीजिएजैसा उचित समझे ।
जी कहकर पापा ने फोन रख दिया सारी बात माँ को बतायी माँ ने नव्या को देखा नव्या ने हाथ खड़े कर दिए न बाबा न मुझे नही रहना वहाँ पूरे एक महीने न माँ ।
पापा माँ उसके बचपने पर हंस दिए चलो कोई न यहीं रहना खुश।
नव्या उछल पड़ी।
और खुशी खुशी लग गयी भाभी बहन से बतियाने।
न कभी कभी सुमित का फोन आता वह शिकायतकरता तुम क्यों नही आयी वह सारी बात पापा पर डाल बच जाती।
अभी 10 दिन ही हुए थे तभी भाभी उसके रूम में आयीं दी आप पैकिंग कर लो जीजाजी आ रहे शाम को आपको लेने।
क्या पर ।
पर बर छोड़ो जल्दी करो न ।
मुझे नही जाना ।
नही दी सबकी इच्छा है बस 8 दिन की बात है फिर आ जाना और हाँ कम कपड़े रखना।
नव्या बेबस सी कपड़े रखने लगी।
दी यह बैग भी ले जाना,
इसमें क्या है।
मम्मी ने कुछ रखा है।
पता ही नही चला कब सुमित आ गए चाय के बाद वो नाखुश रोती बिलखती चल दी यह क्या केबल सुमित ही थे और कोई नही चलो ठीक है घूँघट नही करना होगा पर वहाँ तो सोचकर ही वह घबरा जाती घर से काफी दूर आ गयी थी सुमित भी चुप था और वो भी गुस्सा थी इतनी जल्दी आने से तभी उसने नोटिस किया गाड़ी रेलवे स्टेशन पर रुकी उसने सुमित को प्रश्न भरी नजरों से देखा उतरो न अब पर यहाँ ।
हां तभी मुस्कुराता हुआ उसका देवर आ गया छोटे तुम गाड़ी ले जाओ ।
जी दादा।
पर,
चलो मेरे साथ सुमित बैग लेकर आगे वो खोयी खोयी उसके पीछे चल दी उसी अवस्था मे वह ट्रेन में बैठ गयी ट्रेन चल दी रात बड़ चली उसने पूछ ही लिया हम कहाँ जा रहे ।
सुमित ने उसके कान में शरारत से कहा पिक्चर की दुनियां जीने हनीमून
शिमला।
क्या ,
हां और लगा लिया उसे अपने गले।
चंडीगढ़ से टैक्सी कर पहुँच गए वो शिमला की हसीन बादियों में।
होटल पहले से बुक था प्रवेश द्वार पर दोनों का स्वागत फूलों के शानदार बुके से हुआ और फिर रम का तो कहना ही क्या हर तरफ गुलाबों से बने दिल केंडिल से जगमगाता रुम कमरे में प्रवेश से पहले ही दो लोगों ने उसे कहा स्वागत है मैम वह तो एक ही पल में सारी खुशियाँ पा ली ।
अंदर बड़ी रुको अभी फिर सुमित उसे गोद में उठाकर ले गया।
अब तो है न पिक्चराइज सब कुछ और मेरी बीबी यह सब डिजर्व भी करती है ।
फिर पूरे 8 दिन खूब मस्ती कभी मालरोड पर घूमना।
कहीं कुफरी की मनोरम वादियों में हाथों में हाथ डाले घूमना,
चाँदनी रात में बर्फ से चमकते पहाड़ो को निहारना एक दूसरे का नाम लेके पुकारना, वो सब किया जो नव्या को भाता था।
नव्या यह हमारे जीवन के सबसे हसीन पल थे सबसे प्यारा सफर
हमेशा याद रहेगा।
पर आपने हमें बताया क्यों नही।
भाभी को बता दिया था, उन्होंने ही बताया तुम क्या क्या सपने देखती थी पर घर मे सम्भव नही था सब सबको लेके चलना होता है न,
पर तुम्हें भी तो मिलना चाहिए वो जिसकी तुम हकदार हो मेरी प्यारी बीबी।
पता ही नही चला कब लौटने का दिन आ गया और वह आ गए जब ट्रेनसेउतरे देवर जी तैयार थे गाड़ी के साथ और सुमित उसे चुपचाप उसके मायके छोड़ आये और नव्या को अब कोई शिकायत नही थी न घूँघट से न तीखी आवाज से क्योंकि कोई था जो जिसने उस एक सफर में उसके सारे ख़्वाब हकीकत में तब्दील कर दिए थे।
शादी के 12 साल बाद भी वो सफर आज भी उसकी जिन्दगी की ख़ुशनुमा सफर था और हमेशा रहेगा।
Seema Priyadarshini sahay
03-Sep-2021 05:36 PM
बहुत ही खूबसूरत कहानी
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Gunjan Kamal
03-Sep-2021 03:03 PM
Very nice 👌👌
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